कहा जाता है आज कल का युग तकनिकी का युग है व्यवस्थाओं का युग है। अगर किसी करण से फेसबुक या ट्विटर पर अगर गुड मॉर्निंग पोस्ट नहीं कर पायें तो लगता है जाने क्या छूूट गया जो बहुत जरुरी था।
आप बोलेंगे की मैंने ये फेसबुक वाली बात यहा क्यों बोली और 95 % पाठकों के दिमाग में आया होगा लेखक हम पर तो टेढ़ी निग़ाहों से टिप्पड़ियाँ कर है परन्तु खुद भी ऐसा ही करता होगा। मित्रो ऐसा बिलकुल है यह लेख मेरा पहला लेख है तो अपने पैरो पे कुलहडी मरने का मेरा कोई इरादा नहीं, मेरा इरादा किसी की भी निजी भावनाओ को ठेस पहुँचाने का भी नहीं मेरे प्यारे दोस्तों वो पंक्तियाँ मैंने अपने प्रथम वाक्य को सिद्ध करने के लये लिखी थी। बस में बताना चाहता था की ये चीज़े कैसे हमारे दिनचर्या को प्रभावित करती हैं।
जैसे की मैंने कहा "आज का युग तकनिकी का युग है व्यवस्थाओं का युग है " लोग बहुत समझदार हो गए है या फिर समझदार होने का दिखावा करते है। " दिखावा " हा ये वही शब्द था जो आज सुबह से मेरे दिमाग में खलबली मचा रहा था , तो इस लिए मैंने सोचा की क्यों न इसके बारे मैं कुछ लिखा जाये।
अक्सर मैने सुना है बहुत से बुद्धिजीवियों से जो बोलते है की "दिखावा नहीं करना चाहिए " ये किसी भी यक्ति विशेष के घमंड का प्रदर्शन करता है। क्या आप भी यही सोचते है ? अगर हाँ तो शायद आज का ये सोच बदल दूंगा।
मैं कहता हु दिखावा करना चाहये। अरे भाई कोई क्यों करे दिखावा ? क्युकी वो उस जगह पर है जहाँ से दिखावा कर सकता है या आप उस जगह पर है की आप को उस का दिखावा दुःख देता है। में नहीं मानता या फिर यह भी सकता है की में नहीं जानता आज से पहले आप ने कभी सोचा होगा की 'किसी का दिखावा किसी और की जिंदगी रुख पूरी तरह से पलट सकता है। '
दिखावा मानव उन्नति करक हो सकता है परंतु तब ही जब यह एक सही स्तर और स्वयं की उपलब्धियों के दम पर किया जाये। अगर आज किसी भी इंसान के पास जा कर अगर हम ये पूछेंगे कि "भाई साहब दिखावा जिसे इंग्लिश में "शो ऑफ " कहते है ये करना सही है या गलत ?" तो वह चाहे अनपढ़ हो या कोई शिक्षित वो काम से काम 30 मिनट का ज्ञान उपदेश आप को दे सकता है। ये एक ऐसा विषय है जिसका जिक्र भी आने पर सामने वाला इंसान अपने आप को पवित्र जल से भी पवित्र होने क भ्रम में खो जाता है। और किसी पवित्र आत्मा की तरह सामने वाले को उपदेश देता है. आप को भी कभी ना कभी ऐसा उपदेश जरूर मिला होगा और निःसंदेह आप ने भी किसी ना किसी पे अपने ज्ञान का प्रहार किया होगा। अब आगे पढ़ने से पहले थोड़ा समय कर ये सुनिश्चित कर ले की उपरोक्त घटनाये आप से साथ घाटी है क्या ? या आप ने किसी ऐसी घटना को अंजाम दिया है ? ये लेख मैंने इंसानो लिए लिखा है अगर आप से साथ ऐसा कुछ घटित नहीं हुआ या फिर आप ने ऐसी घटना को अंजाम नहीं दिया तो मुझे आप के इंसान होने पे उतना हे संदेह है जितना भारत और चीन की मित्रता पर है.......... शायद कुछ गलत हो गया। समझ नहीं आया तो नजरअंदाज कर दें।
ये दिखावा एक ऐसा नटखट विषय है दुनिया मई रंगमंच लगा कर कही दूर से अपने पत्रो पर हँसता है , क्युकी ये जनता है चित भी उसकी और पट भी उसकी ही है।